सिखों के दशम गुरु, गुरु गोविंद सिंह
पिता गुरु तेग़बहादुर की बलिदान के बाद 9 वर्ष की अल्पायु में ही बालक गोविंद राय को गुरु गद्दी सम्हालनी पड़ी, तो गुरु की गरिमा बनाये रखने के लिए उन्होंने अपना ज्ञान बढ़ाया और संस्कृत, फ़ारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएँ सीखीं। गोविंद राय ने धनुष- बाण, तलवार, भाला आदि चलाने की कला भी सीखी। उन्होंने अन्य सिखों को भी अस्त्र शस्त्र चलाना सिखाया। सिखों को अपने धर्म, जन्मभूमि और स्वयं अपनी रक्षा करने के लिए संकल्पबद्ध किया और उन्हें मानवता का पाठ पढ़ाया। उनका नारा था- सत श्री अकाल। 5 जनवरी -गुरु गोविंद सिंह जयंती सिख धर्म के सर्वाधिक वीर...