Guru Purnima

  • आध्यात्मिक ज्ञान का चेतन स्वरूप गुरु

    गुरु उसको कहते हैं जो वेद-शास्त्रों का गृणन (उपदेश) करता है अथवा स्तुत्य होता है। पन्थ अथवा मजहब के परे संपूर्ण मानव जाति की ओर समान दृष्टि से देखने वाले गुरु संस्कृति, राष्ट्रीयता अथवा लिंग के आधार पर वे भेद नहीं करते, और आध्यात्मिक उन्नति की लगन वाले शिष्य की प्रतीक्षा में रहते हैं। वे किसी पर धर्मांतरण करने के लिए दबाव नहीं डालते। सर्वज्ञानी होने के कारण शिष्य स्थूल रूप से पास में न होने पर भी गुरु का शिष्य की ओर निरंतर ध्यान रहता है। 3 जुलाई- गुरु पूर्णिमा बुद्धि की समझ से परे सूक्ष्म स्तरीय विषय अध्यात्म...