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  • मन्नू भंडारी का स्त्री विमर्श कैसा था?

    मन्नू भंडारी ने स्त्रीवाद का पौधा लगाया और शुरुआत करने का महत्व है क्योंकि पहले से कोई बना रास्ता नहीं था वे परंपरा से विद्रोह भी कर रही थीं क्योंकि परंपरा और संस्कारों के नाम पर स्त्रियों को छला गया था। मन्नू भंडारी अपनी रचनाओं में कोई वाम विचारधारा की बात नहीं करती थीं। वह किसी वाम लेखक संगठन में भी नहीं रहीं पर उन्होंने निम्न मध्यवर्ग और गरीब तबकों के पात्रों की रचना कर स्त्री विमर्श की जमीन तैयार की जिस पर आज हिंदी का स्त्री विमर्श खड़ा है। हिंदी की प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी की 93 वीं जयंती...