चेतावनी में दम है
जब कुछ तबकों को छोड़ कर बाकी लोगों की वास्तविक आय घटेगी, तो जाहिर है वे उपभोग में कटौती करेंगे। सरकार ने अर्थव्यवस्था के इस पक्ष में सुधार लाने की तनिक भी जरूरत नहीं समझी है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आगाह किया है कि भारत के फिर से ‘हिंदू रेट और ग्रोथ’ में फंस जाने का अंदेशा है। हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ शब्द 1960-70 के दशकों में बहुत प्रचलित था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर आम तौर पर चार प्रतिशत के आसपास रहती थी। अब एक बार फिर से वह कहानी लौटने का अंदेशा...