Indian language

  • भारतीय भाषाएँ हो रही है लुप्त!

    यदि आज अपनी भाषा गई तोकल हमारी पहचान भी चली जाएगी हमें विश्व नागरिक बनने का आत्घाती सपना दिखाया जा रहा है। जिसके बाद हमारे लोकतांत्रिक अधिकार भी छिन जाएँगे और हम उन मछुआरों की तरह बेघर और बेदर होकर एक रोबोट की तरह ज़िंदगी जीने को मजबूर होंगे। क्या हमें ऐसी ग़ुलामी की ज़िन्दगी स्वीकार्य है? अगर नहीं तो हमें अपनी-अपनी भाषाओं को बचाने के लिए जागरूक होना होगा। हम लोग जो ख़ुद को पढ़ा-लिखा समझते हैं कितने ही मामलों में हम इतने अनपढ़ हैं कि इसका अहसास तब होता है जब हम किसी विद्वान को सुनते हैं। ऐसा...