international day of non violence

  • अहिंसा हैश्रेष्ठ दैवीय वृत्ति

    ऋग्वेद में प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे वरुण ! यदि हमने हमें प्यार करने वाले व्यक्ति के प्रति कोई अपराध किया हो, अपने मित्रों, साथियों, पड़ोसियों के प्रति कोई गलती की हो अथवा किसी अज्ञात व्यक्ति के प्रत्ति कोई अपराध किया हो, तो हमारे अपराधों को क्षमा करो। मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह एक दूसरे की रक्षा करें। इसीलिए यजुर्वेद में कहा गया है कि मैं सभी प्राणियों को मित्रवत देखूं, आपस में सभी एक दूसरे को मित्र सम्मान देखें। 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस आदि काल से ही मानव जीवन के साथ दैवी (दैवीय)...