बदहाली का यह आलम
अफसोस सिर्फ यह है कि यह दुर्दशा फिलहाल राष्ट्रीय चर्चा के एजेंडे पर कहीं नजर नहीं आती। इसलिए यह खबर भी ‘बड़ी खबरों’ की बड़ी सुर्खियों के अंदर कहीं दब गई कि 2019 से 2021 के बीच 1.12 लाख दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। भारत में ऐसी दुखद खबरें अब असामान्य नहीं हैं। जब जमीन पर आर्थिक हालत बिगड़ती जाएगी, तो लोगों में हताशा गहराना आम बात हो जाए, तो उस पर किसी हैरत की जरूरत नहीं है। अफसोस सिर्फ यह है कि यह दुर्दशा फिलहाल राष्ट्रीय चर्चा के एजेंडे पर कहीं नजर नहीं आती। इसलिए यह खबर भी ‘बड़ी...