आने वाले बुरे दिन
पर सारी गलतियां सरकार की ही नहीं हैं। कश्मीर का कोई समाधान नहीं है क्योंकि कश्मीरी मुसलमान, घाटी के प्रमुख और जो भी असरकारक हैं वे मुसलमान समाधान नहीं चाहते हैं। कश्मीरी मुसलमानों के आलेख पढ़िए, ट्वीट्स देखिए, उन्हें बोलते हुए सुनिए। उनकी शब्दावली वही है। मतलब हत्यारों को ‘अनजाने बंदूकधारी’, ‘संदिग्ध आतंकवादी’, बताना। ये आज भी सच बोलने को तैयार नहीं हैं, जानबूझकर इस बात को नजरअंदाज करते हैं, पूरी तरह नजरअंदाज करते हैं कि जड कारण चरमपंथी इस्लामी आतंकवाद है। civilian killings in kashmir कश्मीर कभी भी ‘नया’ नहीं हो सकता है। ‘न्यू इंडिया’ की संभावना तो हो...