सूर्य आश्लेषा नक्षत्र और नागपूजा
नाग का सामान्य अर्थ सर्प है, किन्तु वेद तथा पौराणिक ग्रंथों में इसका कई अर्थों में प्रयोग हुआ है। पौराणिक वर्णनों के अनुसार नाग मनुष्य जाति है, जिसके भारत तथा विदेशों में कई विभाग हैं। यह भारत में ब्राह्मणों की एक उपाधि है। कई क्षत्रिय राजा नागेश्वर गोत्र के हैं। वैश्यों में अग्रवाल नाग जाति के हैं, अन्य माहेश्वरी हैं। झारखण्ड में तेली जाति में भी नाग गोत्र के लोग हैं। प्राचीन काल में भारत के बाहर भी आन्तरिक तथा समुद्री व्यापार करने वाले नाग थे, जिनके नाम आज तक भी जापान, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य एशिया आदि में सुरक्षित हैं।...