भारतवासियों को एक सूत्र में बांधने वाला राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
वैसे तो ध्वज का प्रचलन व इतिहास अत्यंत प्राचीन रहा है, और वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि भारतीय प्राचीन ग्रंथों में भी ध्वज का कई रूपों में वर्णन है। लेकिन परतंत्रता काल में विशेषकर अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति के लिए संग्राम के काल में स्वाधीनता सेनानियों को स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के प्रतीक स्वरूप एक ध्वज की आवश्यकता महसूस होने पर विभिन्न व्यक्तित्वों के द्वारा कई चरणों में विविध प्रकार के किए गए प्रयासों से अंग्रेजों के विरुद्ध पूर्ण स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष का प्रतिनिधित्व करने वाला स्वराज ध्वज विकसित किया जा सका। ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए...