‘न्यू इंडिया’ में ‘नया इंडिया’, वर्ष-14, अंक-1
सो तेरह वर्ष! भारत के बदलने के वर्ष। और उस बदलने पर बेबाक लिखते जाने वाला ‘नया इंडिया’। समय का यह संयोग सचमुच एक वह अनचाहा फल है, जिस पर मुझे और ‘नया इंडिया’ टीम को गौरव करना चाहिए। मेरा निश्चित विश्वास है कि ‘न्यू इंडिया’ के गुजरे 13 वर्ष आजाद भारत के पहले सौ वर्षों का वह इतिहास खंड बनेगा, जिसे याद करते हुए मौजूदा 140 करोड़ लोगों की पीढ़ियां बार-बार रोएंगी कि- लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई! ‘नया इंडिया’का यह अंक चौदहवें वर्ष का पहला है। कल सवेरे-सवेरे श्रीमतीजी ने याद दिलाया कि आज वर्षगांठ...