ओपेनहाइमर सचमुच सिकंदर!
एटम बम बना लिया गया है। सब उत्फुल्लित हैं, आनंदित हैं, गर्वित हैं, जयकारे लगा रहे हैं। मगर इस उत्सवी वातावरण से अछूता, एटम बम का निर्माता, उसका पितामह, व्याकुल है, उदास है। "मैंने ये क्या कर दिया? मैंने ये क्या बना दिया? मैंने ये क्यों किया?" oppenheimer film और फिर कैमरा हमें वह दिखाता है जो ओपेनहाइमर के दिमाग में चल रहा है। उनका शरीर उस कमरे में है जो ख़ुशी से झूमते, उनका अभिनन्दन करते लोगों से भरा हुआ है। मगर उनका मन कहीं और है। हिरोशिमा नष्ट हो चुका है। सफ़ेद-सुनहरी रौशनी आकाश में बिखरी हुई है।...