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  • इमरजेंसीः विदेशी साजिश और वैश्विक इमेज

    विदेशी साजिश के खौफ-पैरानॉयड मनोदशा में इमरजेंसी ( emergency conspiracy global image ) का फैसला था। हालातों के डर पैदा करने वाली खुफिया ब्रीफिंग में रॉ प्रमुख आरएन काव ने इंदिरा गांधी का कैसे-क्या माइंड बनाया इस पर किसी का फोकस नहीं रहा।... फिर पेंडुलम के दूसरे छोर पर नेहरू की बेटी को तानाशाह की वैश्विक बदनामी ने पहुंचाया। कैसे वे प्रजातंत्र स्थापक-पोषक पिता नेहरू की जगत पुण्यता के कंट्रास्ट में अपनी तानाशाह बदनामी पर विचार नहीं करतीं। तभी एक दिन उनका अपने स्तर पर चुनाव का फैसला था। यह भी पढ़ें: इमरजेंसीः पहेली और पैरानॉयड! emergency conspiracy global image...

  • इमरजेंसीः पहेली और पैरानॉयड!

    अपना मानना है कि इंदिरा गांधी का इमरजेंसी ( emergency Indira gandhi ) लगाना और चुनाव का फैसला उनका खुद का निर्णय था। वे अंतर्मन से गाइडेड थीं। वे पार्टी में विद्रोह (चंद्रशेखर-धारिया की बेबाकी, जगजीवन राम-वाईबी चव्हाण आदि की महत्वाकांक्षाओं) के भय और विदेशी साजिश के डर के पैरानॉयड में थी। जिन्हें 1969 में इंदिरा गांधी द्वारा भारत की 85 साल पुरानी पार्टी को तोड़ने का इतिहास ज्ञात है वे जानते हैं कि इंदिरा गांधी ने राजनीति को कैसी मनोदशा में खेला। मैं 1975-76 में पत्रकार नहीं था लेकिन जेएनयू में फ्रीलांसिग करने लगा था। ऐसा जेएनयू में होने...

  • इमरजेंसीः खामोख्याल विपक्ष

    इमरजेंसी की घोषणा के साथ पहले से बनाई लिस्ट अनुसार रात में सोते हुए जितने नेताओं-कार्यकर्तार्ओं को गिरफ्तार किया गया था वहीं इमरजेंसी बंदियों का असली लब्बोलुआब है। घोषणा के अगले दिन सूरज निकला तो तब गिरफ्तार हुए अपने केसी की जुबानी का सत्य कि दिल्ली की सड़कों पर, जेपी के पटना में इमरजेंसी के खिलाफ कुत्ता भी भौंकता हुआ नहीं था! indira gandhi in 1975 अनुभव में इमरजेंसी दिखती नहीं थी। विपक्ष को सांप सूंघा हुआ था। न प्रदर्शन थे और न आंदोलन। सन् 1975-76 में देश की आबादी कोई 70 करोड़ थी। लेकिन इमरजेंसी के खिलाफ पर्चे बांटते...

  • इमरजेंसी… मुझे दिखी नहीं!

    जेएनयू और दिल्ली घूमते-देखते हुए लगा ही नहीं कुछ असामान्य है। जन-जीवन, आवाजाही और अखबार सब सामान्य। हां, अखबारों में विपक्ष और राजनीति की खबर ढूंढे नहीं मिलती थीं और न इमरजेंसी की खबर। मानों भारत बिना विपक्ष और राजनीति के हो। जेएनयू में बंदिश, घुटन जैसा कुछ महसूस नहीं हुआ। न ही सहपाठी छात्र-प्रोफेसर-स्टाफ उद्वेलित या बेचैन।.... जेएनयू की उन दिनों की याद से अब समझ आता है कि 26 जून 1975 से लेकर 10 जुलाई 1975 के पंद्रह दिनों में जो होना था वह हो गया। hari shankar vyas jindageenama : छब्बीस जून 1975 का वह दिन...मैं तब...

  • फ्लैशबैक में, लम्हों की खता!

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • वैज्ञानिक सवाल, खुफिया जांच!

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • वुहान की लैब में वायरस बने होने के नए सबूत

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • लॉकडाउन ही भारत का अकेला तरीका!

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • अस्पताल मानों खत्म या बंद तो..

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • कोरोना से लड़ें युद्ध स्तर पर

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • क्या लिखूं, सब तो साल पहले लिखा

    ख्याल कौंधा है कि महामारी काल में जो ठहराव है वैसा अपने अनुभव में पहले कब था? दूसरा सवाल है कि ठहरे वक्त की किंकर्तव्यविमूढ़ता में पुरानी घटनाओं को फ्लैशबैक में टटोलें तो क्या निकलेगा? ... आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ छह-सात क्षण हैं, घटनाएं हैं जो 75 साल का कुल अनुभव हैं। कौन सी हैं ये घटनाएं? एक, चीन से हार। दो, बांग्लादेश जीत। तीन, इमरजेंसी। चार, ब्लूस्टार ऑपरेशन। पांच, नरसिंह राव की अर्थ क्रांति। छह, अयोध्या में मस्जिद ध्वंस। सात, मंडल आयोग। आठ, कोविड-19 महामारी। पंडित का जिंदगीनामा: लंदनः समझदारी की पाठशाला पंडित का जिंदगीनामा-18:  ( hari...

  • सुई की नोक बराबर काम नहीं

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  • कुछ भी नया नहीं हो रहा है

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  • आपात्काल से भी बड़ा आफतकाल

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  • जबलपुर में पांच मरीजों की मौत

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  • नेता कोरोना-दंगल बंद करें

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  • इस साल ऑक्सीजन बड़ी चीज हो गई

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  • कोरोनाः तालाबंदी हल नहीं है

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  • दस राज्यों में संकट गहरा, 1,320 लोगों की मौत हुई

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  • Corona Virus in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के चार शहरों में लॉकडाउन बढ़ा

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