राजनीतिक हिंसा लोकतंत्र में शर्मनाक है
भारत में लोकतंत्र की दुहाई देने का सिलसिला पिछले कुछ सालों से बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मंच से यह कहने का मौका नहीं चूकते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है और लोकतंत्र इसके डीएनए में है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों के नेता यह कहने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, इसका गला घोंटा जा रहा है और इसे समाप्त करके एक पार्टी का शासन स्थापित करने की कोशिश हो रही है। ये दोनों अतिवादी धारणाएं हैं। वास्तविकता क्या है उस पर अलग से चर्चा हो सकती है। लेकिन...