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  • जयगान करें या खामोश रहें!

    संसद को अगर खामोश कर दिया जाए, प्रेस खुद खामोश हो जाए, और न्यायपालिका की भूमिका स्पष्ट ना रह जाए, तो फिर लोकतंत्र के बारे में बुनियादी समझ पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। संसद में जो नजारा देखने को मिल रहा है, उसका एक ही संकेत है और वो यह- सरकार चाहती है कि या तो संसद में उसका जयगान हो या फिर सदस्य चुप रहें। सरकार को सवाल पसंद नहीं हैं। खास कर ऐसे मामलों पर तो बिल्कुल ही नहीं, जिसे वह अपने लिए संवेदनशील मानती है। शुक्रवार को संसद टीवी जिस तरह अचानक म्यूट हो गया, वह...