Rajsthan political crisis
मध्यप्रदेश के बाद जब कांग्रेस शासित राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर संकट आया और उसे गिराने की कोशिशे शुरू हुई तो लगता था कि एक और राज्य में हमें विधायको की खरीद-फरोख्त देखने को मिलेगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाने पर अड़े हैं तो राज्यपाल इस बात पर अड़े हैं कि वे सरकार की सिफारिश नहीं मानेंगे। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार की ओर से भेजी गई तीसरी सिफारिश भी बुधवार को लौटा दी।
कांग्रेस से बागी हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने सबको हैरान करते हुए बुधवार को विधानसभा के स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी को जन्मदिन की बधाई दी।
बहुजन समाज पार्टी अब खुल कर राजस्थान की सियासी उठापटक का हिस्सा बन गई है। पार्टी ने अपने छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की राजनीति पटरी पर शीघ्र ही आ जाएगी। राज्यपाल कलराज मिश्र का यह बयान स्वागत योग्य है कि वे विधानसभा का सत्र बुलाने के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो तीन शर्तें रखी हैं, वे तर्कसम्मत हैं और उन तीनों का संतोषजनक उत्तर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दे ही रहे हैं।
कोई एक रणनीति कभी भी राजनीति में हर जगह नहीं लागू की जा सकती है। राज्यों के हिसाब से, समय के हिसाब से, प्रतिद्वंद्वी के हिसाब से और अपनी ताकत के हिसाब से रणनीति बदलती रहती है।
विधायक बहुजन समाज पार्टी के थे और वे शामिल हुए हैं कांग्रेस में परंतु इस पर आपत्ति भाजपा को है।
राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल के साथ चल रहे टकराव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की।
कांग्रेस पार्टी में ढेर सारे वकील नेता हो गए हैं। पार्टी ने कहीं कहीं से वकील नेता खोज निकाले हैं और उनके कहीं न कहीं से सांसद बनाया है। जैसे आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। पहले वे राजस्थान से भी राज्यसभा में रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों को भाजपा की साजिश बताते हुए कहा कि वे इसे सफल नहीं होने देंगे।
देर रात सेलफोन बजा मैंने पहली नींद ली ही थी। उठाया तो पता चला कि फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा थे। वे शिकायत करके कहने लगे कि भैया तुमने इतना सब हो जाने के बाद भी सचिन पायलट के बारे में कुछ नहीं लिखा