ramdev for comment on allopathy
डाक्टर थे समाज के प्रतिष्ठित लोग…उन पर रामदेव जैसों की हिम्मत नहीं हुआ करती थी पर डाक्टरों ने भी वायरस-महामारी के आगे ताली-थाली की ध्वनि और मोबाइल टार्चो, दियों की रोशनी के प्रभावों की नई व्याख्याएं सुनकर, अपने मरीज को छोड़कर खुले में बाहर आकर ताली बजाते हुए थे…तब भला रामदेव ऐसे डाक्टरों और एलोपैथी की क्यों परवाह करें? यह भी पढ़ें: राहुल, कांग्रेस की जीती है विचारधारा! जब पानी सिर से ऊपर गुजर गया और उनके घर वाले भी मजाक उड़ाते हुए टर्र…टर्र करके हंसने लगे तब डाक्टरों में थोड़ी हिम्मत आई। भारत का सबसे सम्मानित पेशा कभी इतने उपहास का विषय बन जाएगा, किसने सोचा था। मगर यह अचानक नहीं हो गया। न ही गलती अकेले बाबा रामदेव की है। डाक्टर जो कभी सबसे संगठित और स्वाभिमानी वर्ग हुआ करता था उसके अंदर ही ऐसे लोग नेता बन गए जिन्होंने खुद किसी भी हद तक झुकने और अपने मेडिकल प्रोफेशन की इज्जत गिराने में शर्म महसूस नहीं की। आईएमए के अध्यक्ष रहे डा के के अग्रवाल अब नहीं रहे। कोरोना ने ही उनकी जान ली। वे बहुत मीडिया फ्रेंडली डाक्टर थे। मृत्यु के बाद उन्हें मीडिया ने याद भी दिल से किया। कुछ उन बातों का जिक्र भी… Continue reading भारत की डाक्टरी पर बाबा का डंक