भारतीय संस्कृति का परिदर्शक ऋग्वेद उपाकर्म
उपाकर्म का मुख्य उद्देश्य वेद के बारे में मानवजाति को ज्ञान देने वाले अर्थात मानव के लिए सामने लेकर आने वाले ऋषि- मुनियों को धन्यवाद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करना है। वर्तमान में ऋग्वेद मानने वाले ब्राह्मण सावन माह की पूर्णिमा के एक दिन पूर्व शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के श्रवण नक्षत्र में इसे मनाते हैं। इसे ऋग्वेद उपाकर्म भी कहते है। 29 अगस्त -ऋग्वेद उपाकर्म अनुष्ठान प्राचीन काल से शरीर, मन और इंद्रियों की पवित्रता का पुण्य पावन पर्व श्रावणी उपाकर्म श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र व चंद्र के मिलन अर्थात पूर्णिमा की तिथि अथवा हस्त नक्षत्र में श्रावण...