डफर संस्कृति का गौरव!
अपने प्रायोजित प्रशंसकों द्वारा बॉन्ड कहे जाने वाले एक साहब ने एक विदेशी तथासाम्राज्यवादी मतवाद को ‘भारतीय संस्कृति का गौरव’ बताया है। यदि हमारे प्रायोजित बॉन्ड महोदय इस मतवाद को सचमुच जानते, तो इसे भारतीय संस्कृति का गौरव कहकर अपने देशवासियों को अपमानित नहीं करते। ...उन्होंने उस मतवाद का शायद ही कभी अध्ययन किया है। क्योंकि उसे जानने वाला कोई गैर-अनुयायी सिहरे बिना नहीं रह सकता। सदियों से विश्व के बड़े विद्वान – डेविड ह्यूम, तॉकेविल, शॉपेनहावर, गिब्बन, मार्क ट्वेन, बर्नार्ड शॉ, स्वामी दयानन्द, विवेकानन्द, श्री अरविन्द, कविगुरू टैगोर, डॉ. अम्बेदकर, आदि – उसे पढ़-जान कर खारिज करते रहे हैं।...