प्रतिरोध को राजनीतिक संघर्ष बनाने की चुनौती
किसान और मजदूर संगठनों के एक मंच पर आने से 16 फरवरी का प्रतिरोध अधिक प्रभावशाली हो जाएगा। इसके बावजूद इस उम्मीद का कोई आधार नहीं है कि इससे किसान या मजदूर वर्गों को अपनी मांगों को मनवाने में कोई सफलता मिलेगी। इस प्रतिरोध से अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को पराजित कर देने की जमीन तैयार होगी, इसकी आशा भी करने का कोई ठोस आधार नहीं है। ऐसे प्रतिरोध पहले भी हुए हैं, जो प्रतीकात्मक बन कर रह गए। इस बार भी यही संभावना है कि पहले जैसी कहानी दोहराई जाएगी।इसलिए किसान और मजदूर संगठनों को इस बारे में...