‘शरबत-ए-आज़म’ यानी कुंए का मीठा पानी
भोपाल। सचिन का फोन आया कि उनके नये नाटक का मंचन है और आपको आना है। अन्य व्यस्तताओं के कारण मेरा जाना संभव नहीं था। इस नये मौलिक नाटक का प्रमोशन सोशल मीडिया पर एक अलग अंदाज में पहले से किया जा रहा था जिससे इसे देखने की उत्सुकता तो थी लेकिन छिंदवाड़ा जा नहीं पाया और नाटक का मंचन हो गया। बात यही खत्म नहीं हुई। सचिन का फिर फोन आया और उसने एक और तारीख दी जब मैं नाटक देखने आ सकूं। वे उसी नाटक का दूसरा शो करना चाह रहे थे। तारीख तय हो गई और नाटक...