दुनिया में कृष्णभावनामृत प्रर्णेता श्रील प्रभुपाद
भारतीय परंपराओं, वैदिक अनुष्ठानों का भी अंतिम मंत्र यही होता है- इदम् न ममम् अर्थात- ये मेरा नहीं है। यह अखिल ब्रह्मांड के लिए है, सम्पूर्ण सृष्टि के हित के लिए है। इसीलिए श्रील प्रभुपाद के गुरु भक्ति सिद्धान्त सरस्वती ने उनके अंदर की क्षमता को देखकर उन्हें भारतीय दर्शन व चिंतन को सम्पूर्ण संसार तक ले जाने का निर्देश दिया। अपने गुरु के इस आदेश को श्रील प्रभुपाद ने अपना मिशन बना लिया, और उनकी तपस्या का परिणाम आज दुनिया के कोने-कोने में नजर आता है। 8 सितबंर-- श्रील प्रभुपाद जयंती सनातन वैदिक धर्म के प्रसिद्ध गौड़ीय वैष्णव गुरु...