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सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने और उनकी संख्या बढ़ाने को लेकर दिए गए कई सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के बाद भी ऐसा लग रहा है कि इस रास्ते में कई बाधाएं हैं।
कई संस्थाओं ने दीवाली के पहले और दीवाली के दूसरे दिन, वातावरण में मौजूद कीटाणुओं की संख्या जांचने का बीड़ा उठाया और परिणाम ?
लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचल कर मार डालने की घटना की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है।
हमारे देश को आजाद हुए 74 साल हो गए लेकिन आज तक देश में एक भी कानून हिंदी या किसी भारतीय भाषा में नहीं बना। हमारी संसद हो या विधानसभाएं- सर्वत्र कानून अंग्रेजी में बनते हैं।
अदालत ने सरकार से पूछा है कि पहले वह यह बताए कि उसने पेगासस-उपकरणों का इस्तेमाल किया भी है या नहीं? सरकार की बोलती बंद है।
अगर उसने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया है तो उसे एक वाक्य में इसका सीधा जवाब देना है कि उसने ऐसा कोई सॉफ्टवेयर अपने लोगों की जासूसी के लिए इस्तेमाल नहीं किया है।
सरकार से कहा कि वह चाहे तो इस बीच नया हलफनामा देने पर अपनी राय बदल सकती है। लेकिन मुद्दा वही है कि सरकार ने ऐसा नहीं किया, तो कोर्ट क्या करेगा?
पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैए से नाराजगी जताई है।
यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार पेगासस जासूसी मामले में कोई सीधा जवाब नहीं देने जा रही है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा- समस्या यह है कि मीडिया का एक सेक्शन देश में हर एक घटना को कम्युनल एंगल से दिखा रहा है।
धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में दिए गुजरात हाई कोर्ट के आदेश का अंतिम हश्र क्या होगा, अभी कहना कठिन है।
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का आभार जो उन्होंने सरकारों और लोकतंत्र का आधार मानी जाने वाली संस्थाओं की हकीकत जाहिर की।
पहले भी जब कभी सरकार के दिमाग में जांच की बात आई है, तो इसकी नहीं कि उस घटना या परिघटना की जड़ कहां है। बल्कि उसकी रुचि यह जानने में होती है कि उससे संबंधित कोई ऐसा नैरेटिव समाज में कैसे चला गया
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई जाएगी। सो, अब इस मामले पर विपक्षी पार्टियां क्या करेंगी? क्या संसद सत्र खत्म होने और सरकार के कमेटी बनाने की बात के साथ ही यह मामला खत्म हो गया
नेताओं के ऊपर दर्ज मुकदमे अब आसानी से वापस नहीं हो पाएंगे। कई राज्यों में सत्तारूढ़ दल से जुड़े नेताओं के मुकदमे वापस किए जाने की घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त तेवर दिखाए हैं।