Symptoms
डाउन सिंड्रोम के साथ जन्मे बच्चे और उनके माता-पिता बहुत कठिन जीवन बिताते हैं, ऐसे में डाउन सिंड्रोम की सम्भावना समाप्त करने के लिये जरूरी है कि लोगों में इस बाबत जागरूकता बढ़े विशेषरूप से उन जोड़ों में जो पहली बार माता-पिता बनने जा रहे हैं।
कोरोना वायरस से बोर हो गये तो मिलिये नोरोवायरस से, आइये जानते है इसके लक्षण और रोकथाम के उपाय..
इसका शिकार किसी भी उम्र का व्यक्ति हो सकता है। यह वास्तव में खतरनाक घटनाओं (थ्रेटनिंग इवेंट) के सम्पर्क में आने के बाद दिमाग में रासायनिक और न्यूरोनल परिवर्तनों की प्रतिक्रिया से होता है। ज्यादातर लोगों पर ऐसी घटनाओं का असर नहीं होता लेकिन कुछ में ये दिमागी परिवर्तन कर देती हैं जिससे वे पीटीएसडी से ग्रस्त हो जाते हैं। सन 2018 में हुए एक शोध के मुताबिक ऐसे लोगों में स्ट्रेस से जुड़े हारमोन्स के स्तर में परिवर्तन होने से वे ओवररियेक्टिव फाइट ऑर फ्लाइट रिस्पांस की भावना से भर जाते हैं। पीटीएसडी पीड़ित होने का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति में दिमागी या शारीरिक तौर पर कमजोरी आ गयी है। पीटीएसडी यानी किसी दर्दनाक घटना से लगा सदमा। ऐसे सदमे की वजह एक्सीडेंट, अपने की मृत्यु, प्राकृतिक आपदा (भूकम्प, सुनामी, तूफान इत्यादि), फिजिकल या सेक्सुअल हमला या मिलिटरी कॉम्बेट जैसी घटनायें होती हैं। इससे ग्रस्त लोगों में खतरे की बढ़ी हुई भावना की वजह से फाइट या फ्लाइट रिस्पांस बहुत तीव्र हो जाता है। पीटीएसडी पीड़ित सुरक्षित होने पर भी तनावग्रस्त या भयभीत महसूस करते हैं। युद्ध में भाग ले चुके सैनिक अक्सर इस मानसिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं और इनके संदर्भ में पीटीएसडी को… Continue reading सदमें से मनोदशा की बीमारी (पीटीएसडी)
मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना ने अपना बेइंतहा कहर बरसाया है। कोरोना के बाद बारिश ने मुंबई को खूब भिगोया है। कई निचले इलाके वाले मकानों में पानी भर जाने से उनको समस्या का सामना करना पड़ा। मानसून के आगमन पर मायानगरी पर खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में बृह्न्मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (BMC) ने गुरुवार को लेप्टोस्पायरोसिस को लेकर परामर्श जारी किया है।मौसम विभाग ने मायानगरी में भयंकर बारिश के आसार बताये है। अनुमान लगाया है कि मुंबई में मूसलाधार बारिश हो सकती है। नगर निगम ने लेप्टोस्पायरोसिस के मामलों के बढ़ने की चेतावनी जारी की है। लोग अगर पानी में उतरते हैं, या सड़कों भरे पानी में बगैर गम बूट पहने चलते हैं तो ऐसे लोगों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है। अगर कोई जिसके पैरों में या शरीर के किसी हिस्से में चोट लगी हुई है और वो रुके हुए पानी में चलता है तो उसे लेप्टोस्पायरोसिस का मध्यम खतरा है। यह बारिश के पानी से होने वाला एक प्रकार का संक्रमण होता है। होता क्या है लेप्टोस्पायरोसिस ये एक तरह का दुर्लभ बैक्टीरियल संक्रमण होता है, लेप्टोस्पायरोसिस की बीमारी इंसानों में जानवरों के जरिये फैलता है, ऐसा तब होता है जब शरीर में… Continue reading क्या होता है लेप्टोस्पायरोसिस..मायानगरी पर क्यो छाया इसका साया, जानें इसके लक्षण और उपचार
हाल में यह खबर सुनकर कि देश की जानी-मानी चरित्र अभिनेत्री व भाजपा सांसद श्रीमती किरण खेर मल्टीपल माइलोमा से बीमार हैं तो दुख के साथ आश्चर्य हुआ क्योंकि मेरी जानकारी के अनुसार इस दुलर्भ कैंसर के हमारे देश में न के बराबर केस हैं। इस सम्बन्ध में जब जानकारी हासिल की तो पता चला कि पिछले कुछ वर्षों से इस बीमारी ने अपने देश में इतने पांव पसार लिये हैं कि हर साल कई लाख केस सामने आ रहे हैं। यह बीमारी क्या है?, कौन इसकी चपेट में आ सकते हैं? और आज की तारीख में इलाज के क्या विकल्प मौजूद हैं जानने के लिये मैंने मायो क्लीनिक (जैक्सनविले, फ्लोरिडा, अमेरिका) के जाने-माने कैंसर (प्लाज्मा सेल डिस्आर्डर) विशेषज्ञ डा. सिकन्दर आइलावाधी (एमडी) से सम्पर्क किया तो उनसे मल्टीपल माइलोमा के सम्बन्ध में ये जानकारी हासिल हुई- शरीर में मौजूद प्लाज्मा सेल्स को नुकसान पहुंचाने वाले इस कैंसर से इम्युनिटी, हड्डियां, गुर्दे और लाल रक्त कणिकायें नष्ट होने लगती हैं जिसका परिणाम हड्डियों में दर्द, बुखार और किडनी फेलियर के रूप में सामने आता है। प्लाज्मा कोशिकायें एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकायें हैं जो हड्डियों में पाये जाने वाले नरम ऊतकों जिन्हें डाक्टरी भाषा में बोन मैरो कहते हैं… Continue reading पसर रहा है मल्टीपल माइलोमा……
भारत अभी कोरोना महामारी से लड़ने की कोशिश कर रहे है। पूरा देश इसे हराने में लगा है। भारत में कोरोना के मामले कम आने लगे है। मौत के आंकड़े भी कम हो हे है। भारत को अभी रहत की सांस मिलने लगी है कि एक और बीमारी आ खड़ी हुई है….ब्लैक फंगस। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस लोगों को डराने लगा है। इस बीमारी को मेडिकल टर्म में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं और यह बीमारी कोरोना से रिकवर होने के बाद मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है। इस बीमारी में मरीजों की आंखें जा रही है। कई मरीजों की तो आंखें निकाली जा चुकी है। कोरोना केस कम आने जरूर शुरु हो गये है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। लिहाजा सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को ब्लैक फंगस की बीमारी हो रही है। ब्लैक फंगस के मरीज राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात में ज्यादा देखने को मिल रही है। इसे भी पढ़ें Black Fungus In Rajasthan: राजस्थान में ‘ब्लैक फंगस’ की दस्तक, सरकार अलर्ट, जारी किए ये आदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस बारे में दी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट करके ब्लैक फंगस के… Continue reading आइये जानते है आखिर क्या है ब्लैक फंगस? इससे बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं..
भारत में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव देखने को मिल रहा है। जो पहले से बिल्कुल अलग है। दूसरी लहर में कोरोना का म्यूटेट वायरस है। इसके लक्षण अभी सही तरह से किसी को पता नहीं है। पहली लहर में कोरोना के कुछ सामान्य लक्षण दिखायी दे रहे थे जिससे डॉक्टर और मरीज इसे कोरोना संक्रमित कह पा रहे थे। पहले कोरोना में जुकाम, बुखार, खांसी, छिंकना, सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई दे रहे थे। लेकिन कोरोना के नये वैरियंट में लक्षणों के आधार पर यह कह पाना बेहद मुश्किल है कि कोरोना है या नहीं। कोरोना का नया वेरिएंट बहुत खतरनाक है इसलिए यह न सिर्फ श्वसन प्रणाली पर हमला कर रहा है बल्कि अलग-अलग मरीजों पर तरह-तरह से प्रभावित कर रहा है। यही वजह है कि खांसी, सर्दी, श्वास संबंधी लक्षणों के अलावा भी कई लक्षण लोगों में नजर आ रहे हैं। कोरोना का नया वायरस बच्चों और युवाओं पर ज्यादा असर डाल रहा है। आइये जानते है कोरोना वैरियंट के लक्षणों के बारे में… New Symptoms of Covid 19 इसे भी पढ़ें प्रवासी मजदूरों के पलायन पर Rahul Gandhi ने कहा, उनके के खाते में रुपये जमा करे केंद्र सरकार 1. आंखों का लाल होना कोरोना का नया… Continue reading Covid-19 Symptoms: भारत में ये हैं नये Corona Strain के लक्षण, ना करें इग्नोर
यदि एक सप्ताह से अधिक समय से भूख नहीं लग रही हैं या धीरे-धीरे भूख कम हो रही है तो इसे हल्के में न लें यह सेहत से जुड़ी किसी गम्भीर समस्या का संकेत हो सकता है। मेडिकल साइंस में इसे एनोरेक्सिया कहते हैं, जब व्यक्ति एनोरेक्सिया का शिकार होता है तो उसे कुछ अन्य लक्षण भी महसूस होते हैं जैसेकि वजन कम होना, थकान और कुपोषण इत्यादि। ऐसे में एनोरेक्सिया की वजह जानना बहुत जरूरी है देर करने से इसकी जड़ में मौजूद बीमारी सेहत के लिये गम्भीर खतरा बन सकती है। कारण क्या हैं? भूख न लगने या भूख मरने के कई कारण हैं जैसेकि- बैक्टीरिया या वायरस: आमतौर पर ऐसा बैक्टीरियल, वायरल या फंगल इंफेक्शन से होता है। इनकी वजह से व्यक्ति को अपर रेसपिरेटरी इंफेक्शन, निमोनिया, गैस्ट्रोइन्टराइटिस, कोलाइटिस, स्किन इंफेक्शन और मेनेन्जाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। सही इलाज से जब ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं तो भूख फिर से सामान्य हो जाती है। मनोवैज्ञानिक कारण: दुख, उदासी, डिप्रेशन, चिंता (तनाव), बाइपोलर डिस्आर्डर और बूलिमिया की कंडीशन में भूख कम हो जाती है या मर जाती है। इसके अलावा एनोरेक्सिया नरवोसा नामक ईटिंग डिस्आर्डर में भी भूख मरने लगती है क्योंकि इसमें व्यक्ति वजन कम… Continue reading भूख न लगना बीमारी का संकेत
इसका पूरा नाम क्रूट्सफेल्ड-जैकब डिसीस (सीजेडी) है मेडिकल साइंस में इसे प्रियन डिसीस के नाम से भी जाना जाता है। तेजी से बढ़ने वाले इस संक्रामक दिमागी रोग (न्यूरोडिजेनरेटिव डिस्आर्डर) के 90 प्रतिशत मामलों में रोगी की मृत्यु एक वर्ष के अंदर हो जाती है।
फूड पोइज़निंग के लक्षण खाना खाने के 1 से 2 घंटे बाद नजर आने लगते हैं और ये पूरी तरह से खाने से हुए संक्रमण पर निर्भर होते हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति को इनमें से कम से कम तीन लक्षण जरूर महसूस होते हैं- पेट में मरोड़, दस्त, उल्टी, भूख में कमी, ठंड लगना, हल्का बुखार, दुर्बलता, आंखों में सूजन, प्यास लगना, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द।
मेडिकल साइंस में ड्राइ आई सिन्ड्रोम के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी में पीड़ित की आंखों में कम आंसू बनने की वजह से आंख को नम रखने वाली लेयर नहीं बनती, जिससे आंखों की सतह पर सूजन से कॉर्निया पर निशान पड़ने से नजर धुंधला जाती है।
शरीर में पानी का जरूरी स्तर बहुत कम हो जाने से डिहाइड्रेशन होता है, यह स्थिति इतनी खतरनाक होती है कि समय से इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती है। वैसे तो कोई भी डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है लेकिन बच्चे और बूढ़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
डॉयबिटीज मेलिटस, जिसे आम बोलचाल की भाषा में डॉयबिटीज (मधुमेह) कहते हैं, एक मेटाबॉलिक (चयापचय) रोग है, इससे रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने से स्वास्थ्य सम्बन्धी गम्भीर समस्यायें हो जाती हैं।
थायरॉइड हमारे गले में तितली की तरह दिखने वाली एक ग्रन्थि है जो शरीर के लिये जरूरी हारमोन्स बनाती है, लेकिन आम लोगों में थायरॉइड शब्द का प्रयोग बीमारी के नाते ज्यादा होता है। थायरॉइड ग्रन्थि में आयी खराबी से होने वाली किसी भी बीमारी के लिये लोग कहने लगते हैं कि मुझे थायराइड हो गया है।
फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के सिलसिले में बाइपोलर डिस्आर्डर और डिप्रेशन नाम की दो बीमारियों का नाम सबसे ज्यादा सुनने में आया, इनकी वास्तविकता जानने के लिये जब मनोचिकित्सकों से बात की तो पता चला कि बाइपोलर डिस्आर्डर एक क्रोनिक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति अचानक मनोदशा के चरम बिंदुओं (अप-डाउन) में भटकती है।