दमन का कॉमिक प्रतिकार है ‘बागी अलबेले’
भोपाल। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचता हूँ जिसे हंसी ही नहीं आती और जो कभी हंसा ही नहीं। क्या वह नाटक ’बागी अलबेले’ देखते हुए भी ऐसा ही रह सकता है। नहीं, ऐसे व्यक्ति को भी हंसने के लिये मजबूर कर देगा इस नाटक का आल्हादित करने वाला हास्य। देश में कुछ रंग निदेशक ऐसे हैं जिनके नाटकों का प्रदर्शन प्रायः महानगरों तक सीमित रहता है लेकिन वे अपने आप में अद्वितीय होते हैं। इन नाटकों को देखकर आपकी न केवल रंगमंच की समझ समृद्ध होती है वरन् एक नये जीवन अनुभव से भी गुजरते हैं। ऐसे...