तीन मुठभेड़ और पुलिस की मासूम कहानियां
भारत में या किसी भी सभ्य समाज में मुठभेड़ में या पुलिस और न्यायिक हिरासत में आरोपियों या अपराधियों का भी मारा जाना समूची व्यवस्था के ऊपर धब्बा होता है। यह अपराध न्याय प्रणाली और समाज व्यवस्था पर कलंक है। किसी भी व्यक्ति के ऊपर आरोप चाहे जितने भी गंभीर हों लेकिन उसे सजा देने का काम पुलिस का नहीं है। उसे कानून के हिसाब से अदालत से सजा मिलेगी। पुलिस को न्याय करने का अधिकार नहीं है। और पुलिस की इन मासूम कहानियों का भी कोई अर्थ नहीं होता है कि हथकड़ी में बंद आरोपी ने पुलिस वालों से...