मप्र में बाघों की संख्या दोगुनी होने के बावजूद उच्च मृत्यु दर से विशेषज्ञ चिंतित
भोपाल। घने वन क्षेत्रों के साथ संभावित आवास और दूर स्थित बाघ अभयारण्यों (Tiger Reserve) के बीच उचित गलियारों को बाघों के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। यह बात पूर्व वन अधिकारी व मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के वनों के प्रमुख मुख्य संरक्षय वन आलोक कुमार (Alok Kumar) ने कही। वह अब कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख सदस्यों में से एक है। सन 2000 में जब मध्य प्रदेश को दो भागों में बांटा गया था, तब यहां लगभग 250-300 बाघ थे, जो अब 700 तक पहुंच चुके हैं।...