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काबुल हवाई अड्डे पर सैकड़ों लोगों के हताहत होने की खबर ने सारी दुनिया का दिल दहला दिया है। सबसे ज्यादा अमेरिका की इज्जत को धक्का लगा हैI
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक में अफगानिस्तान की ताजा स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत सरकार की अफगान नीति पर हमारे सभी राजनीतिक दल और विदेश नीति के विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं। नौकरशाहों की नीति है- बैठे रहो और देखते रहो। लेकिन नेताओं की नीति है कि बैठे रहो और सोते रहो।
अफगानिस्तान के मामले में भारत सरकार के रवैए में इधर थोड़ी जागृति आई है, यह प्रसन्नता की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर एंजला मर्केल और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से बात की।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के 10 दिन के बाद तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया है।
करीब 20 साल के बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने मिशन बनाया है कि उसे इस बार पंजशीर पर कब्जा करना है।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के एक हफ्ते बाद तालिबान ने अमेरिकी फौज को हटाने की डेडलाइन को लेकर चेतावनी जारी की है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत जाने के बाद पहली बार भारत सरकार ने सभी पार्टियों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी देने का फैसला किया है।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बिगड़ते हालात के बीच रविवार को भारत ने चार सौ और लोगों को वहां से निकाला।
अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान की नजर पंजशीर पर है, जो अभी तक उसके कब्जे से बाहर है।
तालिबान खालिस शरियत व्यवस्था का पक्षधर है, जिसकी जड़े 1,400 वर्ष पूर्व के कालखंड में मिलती है। जो कुछ उसने पिछले ढाई दशक में किया और जो कुछ वह अब करना चाहता है
यह तो अच्छी बात है कि भारत सरकार की तालिबान से दूरी के बावजूद उन लोगों ने अभी तक भारतीय नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया है। हमारा दूतावास सुरक्षित है।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर भारत अभी ‘वेट एंड वाच’ की रणनीति पर चल रहा है। अभी तक आधिकारिक रूप से इसके पक्ष या विपक्ष में कुछ नहीं कहा जा रहा है।
भारत सरकार ने पता नहीं अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से होने वाले नुकसान का आकलन किया है या नहीं, लेकिन जो अनुमान है वह बहुत नुकसान का है। आर्थिक और सामरिक दोनों तरह का नुकसान भारत को होगा।
काबुल पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने करीब करीब पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। लेकिन पंजशीर ऐसा इलाका है जो अब भी तालिबान के नियंत्रण से बाहर है।