ved pratap vaidik

  • वैदिक अंकल

    समय कई बार अपनी निर्मम और नितांत अनापेक्षित मार से हमें भौचक्का कर देता है। समझ ही नहीं आता कि यह क्या, क्यों और कैसे हुआ। काल का अप्रत्याशित आक्रमण, अगली पीढ़ी के कंधों पर अचानक एक ऐसा बोझ डाल देता है जिसे संभालने के लिए उनके कंधे तैयार नहीं होते। मैं वैदिक अंकल के बारे में लिखने - भूतकाल में लिखने - के लिए कतई तैयार नहीं थी। पर मुझे तो लिखना होगा। वे मेरे लेखन पर मुझे बधाई देने वाले पहले व्यक्ति थे, वे पहले व्यक्ति थे जिनसे मैंने ‘नया इंडिया' के यूटयूब चैनल के लिए बातचीत की...

  • हमेशा याद रहेगा वैदिकजी का संघर्ष

    जेएस राजपूत उनका इस तरह जाना अविश्वसनीय लग रहा है। जिस उत्साह से वैदिक जी एक नए दक्षेश की योजना को साकार रूप देने में लगे थे, उससे तो युवा ही नहीं उनके सभी सहयोगी भी प्रेरणा प्राप्त कर रहे थे। देश में हिंदी भाषा तथा भारतीय भाषाओं के लिए तरुणाई से ही लगातार कर्मठता से जुड़े रहे वैदिक जी पिछले छह दशकों से देश में युवाओं के लिए, विशेष कर राजनीति और पत्रकारिता के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए, प्रेरणा स्रोत बने रहे हैं। उनके लेख और उसमें उपस्थित गहराई तथा उनकी अपनी विश्लेषण क्षमता अद्भुत थी।...

  • हिंदी पत्रकारिता के वैदिक युग का अवसान

    डॉक्टर वैदिक ने अपने लेखन से कई मिथक तोड़े। हिंदी के बारे में यह आम धारणा रही है कि वह साहित्य की भाषा है या हिंदी भाषा में देश की गोबर पट्टी की राजनीति के बारे में ही लिखा जा सकता है। वैदिक जी ने इस धारणा को तोड़ा। उन्होंने जिस सहज भाव से वैदेशिक मामलों पर हिंदी में लिखा उसकी दूसरी मिसाल नहीं है। हिंदी की मुख्यधारा की पत्रकारिता के स्वर्ण काल का प्रतिनिधित्व करने वाली मध्य प्रदेश की त्रयी की आखिरी कड़ी भी टूट गई। प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर के साथ साथ और उनके बाद भी हिंदी...