Waheeda Rehman

  • वहीदा- संवाद कम, अभिव्यक्ति ज़्यादा

    वहीदा की लगभग नब्बे फ़िल्मों में ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’ और ‘साहब बीवी और गुलाम’ भी हैं जिनमें उन्होंने गुरुदत्त के साथ काम किया। ये हिंदी सिनेमा की बेहद अहम फ़िल्में हैं। ‘प्यासा’ और ‘कागज़ के फूल’ तो अपने यथार्थपरक कथ्य के कारण देश की अग्रणी फ़िल्मों में गिनी जाती हैं। लेकिन वहीदा को अपनी फिल्मों में सबसे ज्यादा ‘गाइड’ पसंद है।…वहीदा रहमान को ‘रेशमा और शेरा’ के लिए 1971 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। फिर 1972 में उन्हें पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण दिया गया। दादा साहब फाल्के पुरस्कार जो 1969 में शुरू हुआ, अब तक...