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  • प्रगति की दिशा में

    भारत में निजी मजहबी दीवानी संहिताओं के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष सिविल न्याय संहिता भी मौजूद है। अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति भी इसके तहत न्याय पा सकते हैं। उनकी ऐसी अर्जी पर अदालतें धर्मनिरपेक्ष संहिता के अनुरूप ही न्याय करेंगी। शाह बानो प्रकरण भारत में न्याय सिद्धांत की प्रगति को एक झटका था। हालांकि तब सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कुछ अवांछित टिप्पणियां भी की थीं, लेकिन उसकी यह व्यवस्था सही दिशा में थी कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने का हक है। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने विधायी तरीके से उस व्यवस्था को कमजोर...