नई दिल्ली | आज 2 जून है. भारत में 2 जून की रोटी काफी प्रसिद्ध कहावत है. कहा जाता है कि वो लोग काफी खुश किस्मत होते हैं जिन्हें 2 दिन की रोटी नसीब होती है. इस बार कोरोना के कारण बाजार में महंगाई अपने चरम पर है, यहीं कारण है कि लोगों सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि इस बार तो सच में 2 जून की रोटी नसीबवालों को ही मिलेगी . हालांकि यह मुहावरा कहां से आया और 2 जून की रोटी में ऐसी क्या विशेषता होती है, इस बात से पर्दा आज तक नहीं उठ सका है. लेकिन कुछ ऐसी बातें जरूर है जिससे इसे जोड़कर देखा जाता है तो आइए जानते हैं कि ऐसा भी क्या विशेष होता है इस दिन में…
इस कहावत का अर्थ 2 वक्त की रोटी से है
हिंदी के जानकार और साहित्यकारों का मानना है कि 2 जून की रोटी में ऐसा कुछ भी विशेष नहीं होता. उनका कहना है कि इस कहावत में 2 जून का मतलब दो वक्त की रोटी है. इस संबंध में हिंदी के आचार्य शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि यह भाषा का एक रूढ़ प्रयोग है. उन्होंने यह भी बताया कि यह कहावत आजकल की नहीं बल्कि 600 साल पुरानी है जब महीने के नाम भी नहीं हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि हिंदी एक बहुत धनी भाषा है यहां कई बार शब्दों को सीधा प्रयोग न कर दूसरे तरीके से समझाया जाता है.
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मुश्किल हुआ 2 जून की रोटी खाना
लगभग 2 सालों से कोरोना भारत में जमकर कहर बरसा रहा है. पिछले साल मार्च से ही देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया था. इसके बाद कुछ दिनों में देश में सामान्य स्थिति जरूर है लेकिन एक बार फिर से कोरोना की दूसरी लहर आई और बाजारों में सन्नाटा पसर गया. इसीलिए सोशल मीडिया पर भी 2 जून की रोटी ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि महंगाई के कारण 2 जून की रोटी खाना मुश्किल हो गया.
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