नई दिल्ली। कोराना वायरस से संक्रमित मरीजों के होम क्वरैंटाइन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कोविड-19 के मरीजों के घर के ऊपर संक्रमण की सूचना देने वाला पोस्टर नहीं लगाया जाना चाहिए। पिछले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि मरीजों के घर के आगे पोस्टर लगाने से उनके प्रति अछूत जैसा बरताव होने लगता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को सुनवाई के बाद कहा कि लोगों के घरों के आगे क्वरैंटाइन का पोस्टर नहीं लगाना चाहिए। अदालत ने कहा- अगर पोस्टर लगाना जरूरी हो तो इसके लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी का आदेश होना चाहिए। इस मामले में पिछले हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि कोरोना मरीजों के घरों पर एक बार पोस्टर लगने के बाद उनसे अछूतों जैसा बरताव किया जाता है।
केंद्र सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत में कहा था कि यह कोई जरूरी नियम नहीं है, इस प्रैक्टिस का मकसद कोरोना मरीजों को कलंकित करना भी नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था दूसरों की सुरक्षा के लिए है। सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने की कोशिशों में कुछ राज्य यह तरीका अपना रहे हैं। सरकार के जवाब पर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। सुप्रीम कोर्ट ने पांच नवंबर को केंद्र सरकार से कहा था कि कोरोना मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने से रोकने के लिए गाइडलाइंस जारी करने पर विचार करना चाहिए।