झुंझुनूं। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में होली अलग ही अंदाज में मनाई जाती है और बसंत पंचमी के दिन से ही शेखावाटी क्षेत्र में Holi का हुदंगड़ प्रारंभ हो जाता था। जो गणगोर विसर्जन के साथ समाप्त होता था। पाश्चात्य संस्कृति के हावी होने से शेखावाटी क्षेत्र में भी होली मात्र रस्म बनकर रह गई है एवं वैश्विक महामारी Corona के चलते इस बार Holi की रंगत फीकी नजर आ रही है। लोगों में न तो पहले जैसा जोश है, न उल्लास है और न ही उमंग हैं।
इसे भी पढ़ें -Good News : LPG का 819 का गैस सिलेंडर अब मिलेगा 119 रूपये में…..जानें क्या है ऑफर
महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गीत तो सुनने को ही नहीं मिलते हैं। इन दिनों तो लोग Social Media पर ही होली मनाते हैं और एक दूसरे को बधाई दे देते हैं। बदलते माहौल के बीच पिछले एक साल से चल रहे कोरोना ने भी लोगों को सीमित कर दिया और बड़े बड़े धार्मिक पर्व में केवल रस्म अदायगी ही बची हैं.
शेखावाटी क्षेत्र- में Holi के नाम पर गाने बजाने वाली बड़ी-बड़ी मंडलिया तो बन गई लेकिन वे दूर दूर शहरों में जाकर होली के चंग धमाल कार्यक्रम की प्रस्तुतियां देते हैं। मगर उनके कार्यक्रमों में वह रस नहीं है जो पहले गांवों में लोग बिना ताम झाम के साथ एकत्रित होकर उत्साहपूर्वक उत्सव मनाते थे। Corona एवं शराब के बढ़ते प्रचलन ने भी Holi के त्यौहार को सीमित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
इसे भी पढ़ें- SBI, HDFC, ICICI जैसे बड़े बैंकों की SMS सेवाएं 1 अप्रैल से हो सकती हैं बंद, जानें कारण
शहरों की तरह गांव के लोग भी अब होली के त्यौहार को एक-दो दिन में ही निपटा देते हैं। होलिका दहन के लिए आजकल गांव में भी बड़कुले बनाने से महिलाएं परहेज करने लगी है। इस कारण सदियों से चली आ रही परम्पराएं समाप्त होने लगी हैं.
शेखावाटी क्षेत्र में Holi अलग ही अंदाज में मनाई जाती है और बसंत पंचमी के दिन से ही शेखावाटी क्षेत्र में होली का हुदंगड़ प्रारंभ हो जाता था। जो गणगोर विसर्जन के साथ समाप्त होता था। क्षेत्र के गांवों की गलियों, शहरों के मोहल्लों में Holi के दिनों में लोग चंग की थाप पर नाचते धमाल गाते, गांव के गुवाड़ में रात को लोग एकत्रित होकर होली का आनंद लेते थे। नाचते गाते झूमते और गांव में लोग विभिन्न प्रकार के स्वांग निकाल कर लोगों का मनोरंजन करते थे। महिलाएं सामूहिक रूप से रात में होली के गीत गाकर वातावरण में रस घोल देती थी। अब सब बदलते माहौल के भेंट चढ़ गया.
होली के दिनों में बजाये जाने वाले चंग के साथ धमाल एवं Holi के गीत गाये जाते और साथ में झांझ, मंजीरे बजाते रहते तथा एक घेरा बनाकर लोग धमाल गाते थे। अब ये नजारे कम ही देखने को मिलते हैं। शेखावाटी में ढूंढ का चलन अभी भी व्याप्त है। परिवार में पुत्र के जन्म होने पर उसके ननिहाल पक्ष से कपड़े, मिठाई दिये जाते हैं, जिनकी पूजा कर बच्चे को कपड़े पहनाये जाते है एवं मिठाई मौहल्ले में बांटी जाती है। आजकल गांवों में बेटी के जन्म पर भी ढ़ूंढ़ पूजना प्रारम्भ हुआ है। जो कन्या भ्रूण हत्या रोकने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास साबित होगा.
इसे भी पढ़ें - पूर्व भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर कोरोना से संक्रमित, घर पर खुद को किया क्वारंटीन
Holi 2021 : जानें, क्यों राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में फीकी पड़ती होली की रंगत
और पढ़ें
-
अमेरिकी सेना ने कहा, हौथी के चार ड्रोनों को मार गिराया
सना। अमेरिकी सेना (US Military) ने यमन में हौथी समूह द्वारा लॉन्च किए गए चार ड्रोनों (Drone) को मार गिराया...
-
तापसी पन्नू ने पैंट-कोट के साथ फ्यूजन स्टाइल में पहनी साड़ी
मुंबई। मशहूर एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) को साड़ी पहनना काफी पसंद है। इस कड़ी में एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम पर...
-
भूपेश बघेल ने कांग्रेस को प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है: सुरेंद्र दाऊ
राजनांदगांव। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र दाऊ (Surendra Dau) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को फिर...
-
दमोह के पूर्व और मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा में शामिल
भोपाल। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश में दल-बदल का सिलसिला जारी है। चुनावी मौसम में कांग्रेस (Congress) के नेता...