जयपुर । राजस्थान के दौसा में एक युवती को लव मैरेज की चाहत इतनी महंगी पड़ी कि उसे जान ही गंवानी पड़ी। यहां पिता ने ही अपनी लाडली की हत्या कर दी. इतना ही नहीं हत्या करने के बाद उसने थाने जाकर आत्मसमर्पण भी कर दिया. कोर्ट के आर्डर के बाद भी इस कपल को पुलिस ने कोई सुरक्षा नहीं पहुंचाई. इस वारदात के बाद पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़े हुए हैं.
यह है मामला
दौसा में रहने वाले शंकर लाल सैनी की बालिग बेटी पिंकी ने अपने पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी. इसके लिए 21 फरवरी के दिन वह अपने घर से कथित प्रेमी के साथ भाग गयी. जिसके बाद पिता ने लोकल थाने में बेटी के अपहरण का केस भी दर्ज किया था. लेकिन इन सबके बाद पिंकी के घर वाले ही उसके दुश्मन बन गये थे. इस जोड़े को शुरु से ही अंदाजा था कि उनकी जान को खतरा है. इसे देखते हुए 26 फरवरी को उन्होंने हाईकोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए अर्जी भी दे दी थी इसके बाद कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थानीय प्रशासन को याचिकाकर्ताओं के अनुसार उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के आदेश भी दिये थे. लेकिन अगली सुनवाई होने के पहले ही पिंकी के पिता ने अपनी ही बेटी की हत्या कर दी.
देर से जागा मानवाधिकार आयोग
इस पूरे प्रकरण के बाद राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग भी सक्रिय हो गया. आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस घटना से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. साथ ही कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है. इस पूरे प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने पुलिस महानिदेशक, महानिरीक्षक जयपुर रेंज, जयपुर व दौसा के पुलिस अधीक्षक को निष्पक्ष जांच करने के साथ ही रिपोर्ट संबंधित दण्डनायक (मजिस्ट्रेट) के सामने प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं.
कार्रवाई से नहीं लौटेगी पिंकी
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद से पुलिस पर भी दबाव बढ़ गया है. इस मामले में दो थाना प्रभारियों को लाइन हाजिर भी किया गया है. लेकिन साथ ही हत्या करने वाले पिता को भी पुलिस ने अपने हिरासत में ले लिया है. लेकिन इन सब कार्रवाई के बाद भी कुछ सवाल ऐसे हैं जो अभी भी बने हुए हैं.
- क्या पिंकी का जान बचाई जा सकती थी ?
- जब कोर्ट ने सुरक्षा देने के लिए प्रशासन को जिम्मेवारी दी थी, तो उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी ?
- स्थानीय प्रशासन ने मदद के हाथ क्यों नहीं बढाएं ?
- झूठी शान के लिए बेटी को मौत के घाट उतारना कितना सही था ?