बीजिंग। छिंगहाई-तिब्बत वैज्ञानिक अनुसंधान दल ने पेइचिंग में एशियाई जल मीनर के परिवर्तन व प्रभाव की वैज्ञानिक अनुसंधान रिपोर्ट जारी की। एशियाई जल मीनर विश्व की अहम जल मीनर है, जिसके जोखिम पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। हाल में छिंगहाई-तिब्बत वैज्ञानिक अनुसंधान दल ने एशियाई जल मीनर का दूसरा सर्वेक्षण दौरा किया और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना की, जिससे आपदा की रोकथाम के लिए कारगर तकनीक गारंटी प्रदान की गई है। दक्षिण पश्चिम चीन में स्थित छिंगहाई-तिब्बत पठार अंटार्कटिक और आर्कटिक के अलावा सब से अधिक बर्फ का भंडार होने वाला क्षेत्र है, जो एशिया की दसेक बड़ी नदियों का उद्गम स्थल है, जिसे एशियाई जल मीनर माना जाता है। इस का परिवर्तन चीन और बेल्ट एंड रोड से जुड़े देशों के 2 अरब से अधिक आबादी के अस्तित्व व विकास से संबंधित है। इस बार का सर्वेक्षण 2017 में शुरू हुआ था।
सर्वेक्षण परिणाम के मुताबिक, सिंधु नदी, तालिमू नदी, गंगा- यारलुंग त्संगपो नदी आदि पांच नदियां विश्व की पहले पांच कमजोर पारिस्थितिकी स्थिति होने वाली नदियों में शामिल हैं, जबकि सिंधु नदी की स्थिति सब से कमजोर है। अनुमान है कि 2050 तक सिंधु नदी के जल क्षेत्र में आबादी में 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जीडीपी करीब 8 गुना होगी, जल तापमान में 1.9 डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा और बारिश में 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी। इन सब से सिंधु नदी की पारिस्थितिकी स्थिति और कमजोर होगी।
एशिया के जल मीनर पर जोखिम बढ़ा
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