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Taliban पर रूस और चीन ने बदला पाला ! भारत को रहना होगा सतर्क…

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नई दिल्ली। Afhanistan china Russia Taliban : काफी हद तक अब अफगानिस्तान में स्थिति साफ हो गई है कि अब वहां तालिबान राज करेगा. लेकिन अब पूरी दुनिया के लिए तालिबान एक तरह से मुसीबत बनने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान को मान्यता देने वाला चीन पहला P5 सदस्यों वाला देश होगा. इस संबंध में चीन में इशारा भी दे दिया है. बता दें कि P5 विश्व के मानचित्र पर 5 सबसे ज्यादा शक्तिशाली देशों का समूह है. इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल है. अब जो हालात अफगानिस्तान में बने हैं उसके अनुसार रूस और चीन ने तालिबानियों के साथ हाथ मिलाने के इशारे दिए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे संबंध बनाने की आशा व्यक्त की है. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि चीन स्वतंत्र रूप से अपने भाग्य का निर्धारण करने के अफगानी लोगों का इस अधिकार का सम्मान करता है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन अफगानिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण और सहकारी संबंध विकसित करने के लिए तैयार है.

Afhanistan china Russia Taliban :

चीन के रास्ते पर ही बढ़ा रूस

Afhanistan china Russia Taliban : रूस और चीन के नक्शे कदम पर चल रहा है. अफगानिस्तान में हुए इस बदलाव का स्वागत करने वाला रूस दूसरा देश है. रूस के विशेष दूत जमीर काबूलोव ने कहा कि उनका देश पहले से तालिबान से संपर्क में था. उन्होंने कहा कि अभी भी वहां तालिबानियों से बात की जा रही है. रूस के विशेष दूध का कहना है कि वे अभी भी वहां के दूतावास के सभी मामलों को देख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में सब कुछ शांत हो जाएगा.

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भारत की बढ़ेगी परेशानी

Afhanistan china Russia Taliban : पाकिस्तान में अब तक खुले तौर पर तालिबान का समर्थन तो नहीं किया लेकिन इमरान खान के ताज़ा बयान से साफ है कि वह क्या कहना चाहते हैं. इमरान खान ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से तालिबान का समर्थक रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में गुलामी की बेड़ियों को छोड़ दिया है. इमरान खान के बयानों से साफ है कि वह किस ओर इशारा करना चाहा है. इन हालातों में भारत के पड़ोसी देश उनके खिलाफ खड़े हो सकते हैं. ऐसे में भारत को काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है. हालांकि अभी भी सऊदी अरब और यूएई ने अपना रुख साफ नहीं किया है.

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