nayaindia Supreme Court Farmer's Protest : SC ने जंतर-मंतर में सत्याग्रह की मांग...
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SC ने जंतर-मंतर में सत्याग्रह की मांग पर दिया जवाब, कहा- जब मामला कोर्ट में है तो कैसा प्रदर्शन ?

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Lakhimpur Khiri Supreme Court :

नई दिल्ली | Supreme Court Farmer’s Protest : एक साल से ज्यादा समय से चले आ रहे किसान आंदोलन पर एक बार फिर SC में सुनवाई हुई. SC ने साफ तौर पर कहा कि मामला विचाराधीन होने पर विरोध की अनुमति है या नहीं न्यायालय इस पर विचार करने का काम कोर्ट का है. तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा कि वे किस लिए विरोध कर रहे हैं जब उसने इन कानूनों पर पहले ही रोक लगा दी थी. बता दें कि किसान संगठन ने दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कानूनों को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है.

Supreme Court Farmer's Protest :

लखीमपुर खीरी जैसे मामले में कोई नहीं लेता जिम्मेवारी

Supreme Court Farmer’s Protest : कोर्ट ने कहा कि आप विरोध के लिए जाना चाहते हैं, लेकिन ये किस बात पर विरोध है? फिलहाल कोई कानून नहीं है. इस पर इस न्यायालय ने रोक लगा रखी है. सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे, फिर किस बात का विरोध करना है. पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि एक बार एक पक्ष ने कानून की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो विरोध के लिए जाने का सवाल ही कहां उठता है. वेणुगोपाल ने कहा कि वे एक समय दो नावों की सवारी नहीं कर सकते. अटॉर्नी जनरल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना का जिक्र किया, जिसमें आठ लोग मारे गए थे. इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोई घटना होने पर कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता.

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SC में हो मामला तो विरोध की इजाजत नहीं

Supreme Court Farmer’s Protest : सर्वोच्च अदालत में एक अधिकारी ने तर्क दिया कि विरोध बंद होना चाहिए, तो पीठ ने कहा कि जब संपत्ति को नुकसान होता है और शारीरिक क्षति होती है तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है. वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इन तीन कानूनों को वापस नहीं लेने जा रही हैं और इसलिए याचिकाकर्ता के पास इन कानूनों को चुनौती देने का विकल्प है. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई मामला जब सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो उसी मुद्दे को लेकर कोई भी सड़क पर नहीं उतर सकता. बता दें कि दायर की गई याचिका में जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश की अपील की गई थी.

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