नई दिल्ली। उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव से एक साल पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित पार्टी के एक दर्जन विधायक और दूसरे नेता सोमवार को दिल्ली पहुंचे। पार्टी के अनेक विधायकों ने मुख्यमंत्री से नाराजगी जताई है और केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों से कहा है कि अगर मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बदला गया तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम ने उत्तराखंड जाकर पार्टी के विधायकों से बात की थी।
इस बीच चर्चा है कि पार्टी राज्य में किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है। इस सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री रावत को सोमवार को दिल्ली तलब किया गया। रावत सोमवार को राज्य की गरमियों की राजधानी गैरसैंण जाने वाले थे, लेकिन वे अपना दौरा रद्द कर दिल्ली पहुंचे। दोपहर में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हुई। इसके बाद जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक अहम मुलाकात हुई। इस मुलाकात में पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी मौजूद थे। बाद में देर रात जेपी नड्डा के घर पर एक अहम बैठक हुई। बताया जा रहा है कि देर रात नड्डा और शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे, जिसमें रावत की किस्मत का फैसला हो सकता है।
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच रावत सरकार के दो मंत्रियों धन सिंह रावत और सतपाल महाराज में से किसी को मौका दिए जाने की चर्चा है। इनके अलावा पार्टी के दो सांसदों के नाम की भी चर्चा है। बताया जा रहा है कि नैनीताल से पार्टी के लोकसभा सांसद अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी में से भी किसी की लॉटरी लग सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी डैमेज कंट्रोल में लगे हैं। मंगलवार को दिन में देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा विधायक दल की एक अहम बैठक रखी गई है।
गौरतलब है कि भाजपा ने शनिवार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, महासचिव और राज्य के प्रभारी दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड भेजा था। रविवार को दोनों ने राज्य के चार सांसदों और 45 विधायकों के साथ बैठक की थी। दोनों रविवार को दिल्ली लौट आए थे और सोमवार को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपनी रिपोर्ट दी। सूत्रों के मुताबिक राज्य के विधायकों ने पर्यवेक्षकों को बताया कि मौजूदा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने के कारण जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनी जा रही है। जिससे जनता में भी नाराजगी है।
राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और कई विधायक पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। भाजपा के संसदीय बोर्ड की नौ मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में भी उत्तराखंड के मसले पर विचार होने की संभावना है। हालांकि कहा जा रहा है कि फैसला प्रधानमंत्री के साथ बैठक में हो जाएगा।