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विशेष ट्रेनों में 97 मजदूर मरे थे

ByNI Desk,
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विशेष ट्रेनों में 97 मजदूर मरे थे
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए अचानक लागू किए गए लॉकडाउन की अवधि में पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं रखने के लिए निशाने पर आई सरकार ने अब माना है कि विशेष ट्रेनों में 97 मजदूरों की मौत हुई थी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि लॉकडाउन के दौरान चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 97 प्रवासी मजदूरों की सफर के दौरान मौत हुई। पीयूष गोयल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा राज्य सरकारों  की ओर से मिला है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान जो विशेष ट्रेनें चली थीं, उनमें यात्रा करने वाले मजदूरों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। कई ट्रेनें रास्ता भटक कर एक राज्य के दूसरे राज्य में चली गई थीं और 20 घंटे का सफर तीन-तीन दिन में तय हुआ था। उस समय इन ट्रेनों में मजदूरों की मौत हुई थी। इससे पहले संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन तीन सांसदों के सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम व नियोजन मंत्री ने बताया था कि लॉकडाउन के दौरान शहरों और महानगरों से पलायन करके अपने गृह राज्य जाने वाले मजदूरों में कितने लोगों की मौत हुई थी, इसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। उन्होंने कहा था कि मजदूरों की नौकरी गंवाने का रिकार्ड भी सरकार के पास नहीं है। बहरहाल, संसद में मॉनसूत्र के छठे दिन शनिवार को राज्यसभा में महामारी रोग संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए बिल की जरूरत थी। विधेयक में महामारी के दौरान देश में डॉक्टर्स, नर्स, आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, जबकि हमला करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने 123 साल पुराने कानून में बदलाव किया है। इसके तहत डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है। हमला करने वालों पर 50 हजार से दो लाख के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा तीन महीने से पांच साल की सजा भी हो सकती है। जबकि गंभीर चोट के मामले में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। ये गैरजमानती अपराध होगा।
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