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किसान देश विरोधियों के बहकावे में: तोमर

ByNI Desk,
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किसान देश विरोधियों के बहकावे में: तोमर
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने किसानों पर ही आरोप लगाया है कि वे देश का विरोध करने वाले लोगों के बहकावे में आ रहे हैं। उन्होंने अपनी चिट्ठी में वामपंथी पार्टियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिन लोगों ने 1962 के युद्ध में देश की विचारधारा का विरोध किया था, वहीं लोग किसानों को परदे के पीछे से गुमराह कर रहे हैं। इस तरह अब तक किसान आंदोलन में माओवादियों, नक्सलियों के शामिल होने की जो बातें मुंहजबानी हो रही थीं, कृषि मंत्री ने उन बातों को लिख कर जाहिर किया है। यह चिट्ठी जारी करने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के महासचिवों की बैठक हुई। भाजपा मुख्यालय में हुई इस बैठक कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। पार्टी के महासचिवों में सीटी रवि, दुष्यंत गौतम और अरुण सिंह भी इस बैठक में शामिल हुए। इसके बाद तोमर की चिट्ठी जारी की गई। इससे जाहिर होता है कि सरकार रणनीति के तहत किसान आंदोलन को वामपंथियों का आंदोलन बनाने में लगी है। किसान आंदोलन के 22वें दिन लिखी गई तोमर की चिट्ठी में इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि किसान विपक्ष के बहकावे में न आएं। साथ ही देश विरोध का विमर्श बनाने की कोशिश भी की गई है। तोमर ने चिट्ठी में कहा है कि जिन लोगों ने 1962 के युद्ध में देश की विचारधारा का विरोध किया था, वही लोग किसानों को परदे के पीछे से गुमराह कर रहे हैं, आज वे फिर से 1962 की भाषा बोल रहे हैं। तोमर ने किसानों के लिए इस सरकार द्वारा किए गए कानों का लेखा-जोखा भी दिया है। उन्होंने लिखा है- पिछले छह साल में हमारी सरकार ने किसानों का मुनाफा बढ़ाने और खेती को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनका फायदा छोटे किसानों को मिल रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए छह हजार रुपये सालाना देने का मकसद यही था कि इन किसानों को कर्ज न लेना पड़े। उन्होंने कहा है- फसल बीमा, सॉयल हेल्थ कार्ड और नीम कोटिंग यूरिया जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।  
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