नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों और उनके खिलाफ चल रहे आंदोलन पर विचार के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत को सौंप दी है। तीन सदस्यों की कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सर्वोच्च अदालत को सौंपी। इस मामले में पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में आगे की सुनवाई होगी। कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान संगठन इस कमेटी के सामने पेश नहीं हुए थे। बहरहाल, तीन सदस्यों की रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी ने केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानूनों की समीक्षा की है। इसके लिए कमेटी ने 85 किसान संगठनों से मिल कर हर एक पहलू पर चर्चा की। रिपोर्ट को लेकर कृषि मामलों के विशेषज्ञों की भी राय ली गई है। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में सरकार ने तीन कृषि कानून संसद से पास कराए थे, जिसे बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठन इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं और पिछले 126 दिन से दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे हैं। कुछ वकीलों ने इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को चार सदस्यों की इस कमेटी बनाई थी, जिसमें से एक सदस्य ने एक दिन के बाद ही इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी में अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल हैं। केंद्र सरकार की ओर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कमेटी बनाने के फैसले का स्वागत किया था, जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों ने इसका विरोध किया था और कहा था इसमें सरकार के समर्थक लोग हैं। इन किसान संगठनों ने कमेटी के सामने जाने से भी इनकार कर दिया था। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मसला है और उनको सरकार से ही हल चाहिए। किसान संगठन इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट की समिति ने रिपोर्ट सौंपी
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