नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 96 दिन से आंदोलन कर रहे किसान इस बात से चिंतित हैं कि सरकार ने उनके आंदोलन को लेकर चुप्पी साध रखी है। किसानों को लग रहा है कि सरकार किसान आंदोलन के खिलाफ किसी न किसी तरह की तैयारी में है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार कह चुके हैं कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है तो कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है। इसके बावजूद 22 जनवरी के बाद से सरकार ने किसानों से वार्ता नहीं की है।
तभी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आशंका जताई है कि किसान आंदोलन के खिलाफ केंद्र सरकार कुछ खिचड़ी पका रही है। उन्होंने कहा है- सरकार की खामोशी इशारा कर रही है कि आंदोलन के खिलाफ कुछ तो होने वाला है। 15-20 दिनों से सरकार खामोश है। वह किसी न किसी तैयारी में लगी है। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसान तब तक दिल्ली से वापस नहीं जाएंगे, जब तक कानून को लेकर उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती।
टिकैत ने कहा- अब केंद्र सरकार को फैसला करना है कि आंदोलन कब खत्म होगा। सरकार सभी मांगे मान ले तो हम भी अपने गांव चले जाएंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर किसान खेत भी देखेंगे और आंदोलन भी। आंदोलन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर टिकैत ने कहा- किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अब तक 12 दौर की बैठकें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा है कि बातचीत के जरिए किसानों की समस्या का समाधान होगा। लेकिन बैठक को लेकर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से किसी भी प्रकार का प्रस्ताव किसानों को नहीं मिला है। उन्होंने कहा- सरकार जब बुलाए हम बातचीत को तैयार हैं।
गौरतलब है कि राकेश टिकैत मार्च में पांच राज्यों का दौरा करने वाले हैं। इस बारे में उन्होंने बताया कि 24 मार्च तक देश भर में किसानों की महापंचायत होगी। फसलों को नष्ट करने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि अभी ऐसा समय नहीं आया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि वह किसानों से अपील करे कि वे फसल नष्ट न करें।
सरकार की चुप्पी से चिंतित किसान
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