नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, जेएनयू में नकाबपोश गुंडों के घुस कर छात्रों व शिक्षकों की पिटाई करने के मामले में गुंडों की गिरफ्तार करने की बजाय दिल्ली पुलिस ने छात्र नेताओं से पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस ने सोमवार को जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष, पंकज और वास्कर विजय से पांच जनवरी को कैंपस में हुई हिंसा के मामले में पूछताछ की। सभी के बयान दर्ज कर लिए गए हैं।
दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, एबीवीपी की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी ने कहा- यह कहना गलत है कि जेएनयू में छात्रों का प्रदर्शन सिर्फ फीस वृद्धि को लेकर किया गया छात्र आंदोलन था। दरअसल, यह जेएनयू पर नक्सल हमला था। इसकी भूमिका 20 अक्टूबर 2019 को ही लिखी जा चुकी थी, जो पांच जनवरी 2020 को हिंसा के रूप में सामने आईं।
इस बीच जेएनयू प्रशासन ने सोमवार को शिक्षकों को एडवाइजरी जारी कर कहा कि छात्रों के हित को देखते हुए वे क्लास दोबारा शुरू करें। प्रशासन ने कहा कि जेएनयू शिक्षक संघ के दो पदाधिकारियों ने असहयोग करने की घोषणा की थी, जिसके बाद एडवाइजरी जारी की गई। शिक्षकों की ओर से असहयोग किए जाने से कैंपस में शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हो रही हैं। परिसर में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पा रही है।
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, जेएनयू कैंपस में पांच जनवरी को नकाबपोश गुंडों के घुस कर छात्रों व शिक्षकों की पिटाई करने के मामले में सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। यूनिवर्सिटी के तीन प्रोफेसरों ने हाई कोर्ट से अपील की थी कि वह हिंसा के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने के निर्देश दे। इस पर कोर्ट ने पुलिस, दिल्ली सरकार, व्हाट्सऐप, एपल और गूगल से मंगलवार दोपहर तीन बजे तक जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा- उसे अब तक जेएनयू प्रशासन से हिंसा की फुटेज सुरक्षित रखने पर जवाब नहीं मिला है। पुलिस ने यह भी बताया कि उसने व्हाट्सऐप को हिंसा से जुड़े मैसेज चलाने वाले दो ग्रुप्स ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ और ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ का डाटा सुरक्षित रखने के लिए कहा है।
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