चंडीगढ़। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के पूरी तरह खिलाफ है। राज्य सरकार ने इन कानूनों को निरस्त कर अपना अलग कानून बनाया है, जिसे मंजूरी के लिए भेजा गया है। कैप्टेन ने कहा है कि अगर राष्ट्रपति इसे मंजूरी नहीं देते हैं तो पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। गौरतलब है कि इन कानूनों के खिलाफ 113 दिन से किसान दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं।
बहरहाल, कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह हठ वाला रवैया अपनाने की बजाय इन कानूनों को तुरंत रद्द करे और इस मामले पर किसानों के साथ नए सिरे से बातचीत करके नए कानून लाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर राष्ट्रपति ने पंजाब द्वारा लाए गए संशोधन बिलों को सहमति नहीं दी तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि विधानसभा में सभी पार्टियों की वोटिंग के साथ आम सहमति से पास किए बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आगे भेजने के बजाय राज्यपाल ने अपने पास रोक कर रखा है।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह दुखद था कि इस मुद्दे पर अकालियों और आप की तरफ के बाद में राजनीतिक खेल खेलना शुरू कर दिया गया। अपनी सरकार के चार साल पूरे होने पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत में आई रुकावट को खत्म करने के लिए उनको कोई भी बीच का रास्ता नहीं सूझ रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र को कृषि कानून रद्द करने चाहिए और किसानों के साथ बैठ कर इनकी जगह नए कानून बनाने चाहिए। उन्होंने केंद्र से सवालिया लहजे में कहा- इसको प्रतिष्ठा का सवाल बनाने की क्या जरूरत है?
उन्होंने कहा कि जब से आंदोलन शुरू हुआ है, तब से लेकर अब तक अकेले पंजाब के ही 112 किसान मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा- बीते समय में संविधान में एक सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं तो इन कानूनों को रद्द करने के लिए फिर ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? मुख्यमंत्री ने मौजूदा व्यवस्था का बचाव करते हुए कहा कि वे यह बात समझ नहीं पा रहे हैं कि केंद्र सरकार किसानों और आढ़तियों के बीच लंबे समय से आजमाए संबंधों को तोड़ने की कोशिश क्यों कर रही है?