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रूटीन और घाटे का बजट

ByNI Desk,
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संक्रमण की महामारी के बीच ऐतिहासिक बजट पेश करने का वादा किया था लेकिन सोमवार को पेश किया गया उनका तीसरा बजट भी रूटीन का रहा। एक घंटे 50 मिनट के अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कोई ऐतिहासिक बात नहीं कही। हां, कोरोना संक्रमण का इतना असर दिखा कि वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट बढ़ा दिया। इस बार सरकार ने स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को 94 हजार करोड़ रुपए से बढ़ा कर सीधा दो लाख 23 हजार करोड़ कर दिया है। यानी स्वास्थ्य के बजट में 137 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का अलग से प्रावधान किया गया है।

इस बार के बजट से मध्य वर्ग को निराशा हाथ लगी है क्योंकि नौकरीपेशा लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। वित्त मंत्री ने आय कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया और न किसी छूट की घोषणा की। वित्त मंत्री ने 75 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे बुजुर्गों को आय कर रिटर्न भरने से छूट दी है, जिनकी आय का स्रोत सिर्फ पेंशन हैं। हालांकि उनकी पेंशन पर मिलने पर ब्याज के ऊपर कर चुकाना होगा, जो अपने आप बैंक से कट जाएगा।

वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने का ऐलान किया, जिससे अगले वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 6.8 फीसदी पहुंच सकता है। निर्मला सीतारमण ने सोमवार को पेश किए अपने बजट में पांच लाख 54 हजार करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्च का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया, जिसके तहत शहरों में अमृत योजना को बढ़ाया जाएगा। इसके लिए दो लाख 87 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दो हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया है। शहरों में सार्वजनिक परिवहन योजना को बेहतर बनाने के लिए 18 हजार करोड़ रुपए की योजना घोषित हुई है।

इस साल जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों में सड़क परियोजनाओं पर सरकार ने भारी खर्च का ऐलान किया है। चुनाव वाले चार राज्यों- तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम में सरकार सड़क परियोजनाओं पर दो लाख 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा एक लाख तीन हजार करोड़ और केरल में 65 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह बिजली क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपए की योजना का ऐलान किया है। निजी व सार्वजनिक भागीदारी के तहत सात बंदरगाह परियोजनाओं के लिए दो हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई है।

केंद्र सरकार पिछले बजट में तय किए विनिवेश के लक्ष्य का दस फीसदी भी हासिल नहीं कर पाई इसके बावजूद अगले साल में विनिवेश के जरिए एक लाख 75 हजार करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी का आईपीओ लाने का ऐलान किया है। इसके अलावा बिजली लाइन, गेल व इंडिया ऑयल की पाइप लाइन, एयरपोर्ट, राजमार्ग, बैंक आदि के विनिवेश का भी ऐलान किया गया है।

वित्त मंत्री ने पेट्रोल पर ढाई रुपए और डीजल पर चार रुपए प्रति लीटर सेस यानी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया है। यह उपकर कृषि सेक्टर के बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए लगाया गया है। यह दो फरवरी से ही लागू हो जाएगा। हालांकि, वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि इसका आम आदमी पर बोझ नहीं आने दिया जाएगा। इसके लिए उत्पाद शुल्क और अलग से लगाए गए अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है।

आय कर ढांचे में बदलाव नहीं

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी के बीच मध्य वर्ग को उम्मीद थी कि वित्त मंत्री उनके लिए कुछ राहत का ऐलान कर सकती हैं। पर उन्होंने मध्य वर्ग को राहत देने वाली कोई घोषणा नहीं की है। आय कर के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और न किसी तरह की छूट बढ़ाई गई है। वित्त मंत्री ने सोमवार को पेश बजट में सस्ते मकान खरीदने वालों को मामूली राहत देते हुए किस्तें चुकाने पर मिलने वाली कर छूट एक साल के लिए बढ़ा दिया। वित्त मंत्री ने आय कर असेसमेंट के पुराने केस खोलने से भी राहत दी है।

वित्त मंत्री ने बताया कि 2014 में 3.31 करोड़ लोग आय कर रिटर्न दाखिल करते थे, जिनकी संख्या 2020 में बढ़ कर 6.48 करोड़ हो गई। निर्मला सीतारमण ने 75 साल से ज्यादा उम्र वाले और पेंशन पाने वालों को आय कर रिटर्न दाखिल करने से छूट दे दी है। बैंक ही टीडीएस के तौर पर इनका आय कर कट जाएगा। सस्ते घर खरीदने वालों को कर्ज की किस्तों में ब्याज भुगतान पर आय कर छूट में डेढ़ लाख रुपए की अतिरिक्त छूट का समय एक साल और बढ़ा दिया गया है।

भविष्य निधि के पैसे पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगा कर वित्त मंत्री ने कर्मचारियों को एक बड़ा झटका दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अगर कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ में सालाना ढाई लाख रुपए से ज्यादा जमा होते हैं तो उस पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगेगा। यह नियम एक अप्रैल 2021 से लागू हो जाएगा। टैक्स असेसमेंट के मामले में सरकार ने लोगों को राहत दी है। अब तक टैक्स असेसमेंट केस साधारण मामलों में छह साल और गंभीर मामलों में 10 साल बाद भी खोले जा सकते थे। अब साधारण मामलों में तीन साल बाद असेसमेंट केस दोबारा नहीं खोले जा सकेंगे। गंभीर मामलों में भी असेसमेंट केस तभी खोले जा सकेंगे, जब एक साल में 50 लाख या इससे ज्यादा आय छिपाने के सबूत हों। ऐसे मामलों में भी केस खोलने की मंजूरी आय कर विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर से लेनी होगी।

सबसे ज्यादा घाटे का बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक उदारीकरण यानी 1991 के बाद का सबसे ज्यादा घाटे वाला बजट पेश किया है। सोमवार को बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में सरकार का वित्तीय घाटा जीडीपी का 6.8 फीसदी रह सकता है। इससे पहले सबसे ज्यादा घाटे का बजट 1991 में आया था, जब वित्तीय घाटा जीडीपी के 5.6 फीसदी के बराबर था। वित्तीय घाटे का मतलब होता है कि सरकार का खर्च उसे मिलने वाले राजस्व से ज्यादा हो जाए।

बहरहाल, चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 का वित्तीय घाटा 9.5 फीसदी है। यह अपने आप में रिकार्ड है। पिछले साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के कारण राजस्व वसूली बहुत कम है और इसलिए घाटा साढ़े नौ फीसदी पहुंच गया। अगले साल यह घाटा 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा- हमने लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकारी खर्च बढ़ाया है। 2020-21 में 30.42 लाख करोड़ रुपए के सरकारी खर्च का अनुमान था, जो बढ़ कर 34.5 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसकी भरपाई के लिए हमें 80 हजार करोड़ रुपए और चाहिए। इसके लिए हम अगले दो महीने में बाजार से मदद लेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में 34.83 लाख करोड़ रुपए के सरकारी खर्च और 6.8 फीसदी के वित्तीय घाटे का अनुमान है। सरकार 2025-26 तक इसे घटा कर 4.5 फीसदी करना चाहती है।

गाड़ियां महंगी होंगी, सोना-चांदी सस्ता

ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं की महंगाई अब जीएसटी की दर से तय होती है, जिसे तय करने का अधिकार जीएसटी कौंसिल को है। इसलिए आम बजट से ज्यादातर वस्तुओं की कीमत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। फिर भी कई उत्पादों की कीमत उत्पाद शुल्क और आयात शुल्क से तय होती है। सो, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सोमवार को पेश किए बजट के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है गाड़ियां, मोबाइल फोन, चार्जर आदि महंगे हो सकते हैं, जबकि सोना, चांदी और इस्पात आदि की कीमत में कमी हो सकती है।

वित्त मंत्री ने कुछ ऑटो पार्ट्स उत्पाद शुल्क साढ़े सात फीसदी बढ़ा कर 15 फीसदी कर दिया है। इससे गाड़ियां महंगी होंगी। सोलर इनवर्टर पर भी उत्पाद शुल्क पांच फीसदी बढ़ा कर 15 फीसदी किया गया है, जिसकी वजह से इनकी कीमत भी बढ़ेगी। मोबाइल फोन और चार्जर के कुछ पार्ट्स पर ढाई फीसदी उत्पाद शुल्क लगा दिया गया है। इसकी वजह से मोबाइल फोन और चार्जर दोनों महंगे हो सकते हैं। कच्चा धागा, चमड़े के उत्पाद, ट्रांसफॉर्मर आदि चीजें भी महंगी हो सकती हैं।

वित्त मंत्री ने सोना और चांदी दोनों पर आयात शुल्क कम कम कर दिया है। दोनों पर पांच फीसदी की कमी की गई है। इससे आभूषण सस्ते हो सकते हैं। इस्पात के उत्पादों और तांबे पर  भी आयात शुल्क घटाया गया है। इनसे बनी वस्तुएं भी सस्ती हो सकती है। नायलन धागा, फाइबर और पशु आहार में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की कीमत कम हो सकती है।

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