पटना। राजस्थान के कोटा में पढ़ाई करने के लिए गए बच्चों को उनके राज्य वापस भेजने के मामले में बिहार सरकार कई दिन नाराजगी जाहिर कर रही है। बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिख कर नाराजगी जाहिर की है और कोटा के कलेक्टर से भी नाराजगी जाहिर की है। पर अब सरकार खुद ही इस मामले में फंस गई है। खबर आई है कि राज्य के एक भाजपा विधायक को अपने बेटे को कोटा से निकाल कर लाने के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष पास दिया गया था।
इसे लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के नेताओं ने नीतीश कुमार को निशाना बनाया है तो नीतीश के चुनावी प्रबंधक रहे प्रशांत किशोर ने भी उन पर निशाना साधा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की सरकार कोटा में फंसे अपने राज्य के बच्चों को विशेष बसों से निकाल कर उनके घर पहुंचा रही है और दूसरी ओर बिहार सरकार अपने बच्चों को वापस आने से रोकने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भारत सरकार के गृह सचिव अजय भल्ला को इस मामले में एक पत्र भी लिखा था और कोटा के कलेक्टर की शिकायत भी की थी। पर अब खबर आई है कि भाजपा के विधायक अनिल सिंह को अपने बेटे को कोटा से लाने के लिए विशेष पास जारी किया गया था।
यह पास नवादा जिला प्रशासन की ओर से 15 अप्रैल को जारी किया गया था। इस आदेश से दो दिन पहले ही यानी को 13 अप्रैल को बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने एक पत्र लिखकर केंद्रीय गृह सचिव से कोटा से बच्चों को निकालने के मामले में शिकायत की थी। बहरहाल, यह खबर सामने आने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा प्रभावशाली स लोगों के बच्चों को चुपचाप बिहार में बुलाया गया और जब साधारण छात्रों और आम बिहारवासियों के बच्चों की बात आई तो मर्यादा और नियमों का हवाला दिया जाने लगा।
इस पर नीतीश के पुराने चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कह कर खारिज कर दिया था कि ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा। अब उन्हीं की सरकार ने भाजपा के एक विधायक को कोटा से अपने बेटे को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है। उन्होंने पूछा- नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है?