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वैक्सीन पर हाईकोर्ट का जवाब तलब

ByNI Desk,
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वैक्सीन पर हाईकोर्ट का जवाब तलब
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए दी जा रही वैक्सीन पर लगी पाबंदियों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने टीका लगवाने के लिए लगाई गई शर्तों पर नाराजगी जताई है और यह सवाल पूछा है कि कोरोना वैक्सीन का पूरी क्षमता से इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि देश के लोगों को वैक्सीन लगाने की बजाय सरकार उसे दुनिया भर में दान कर रही है या उसकी बिक्री कर रही है। अदालत ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से उनकी उत्पादन क्षमता के बारे में भी पूछा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा- वैक्सीन कंपनियों के पास इसे बनाने और सप्लाई करने की क्षमता है। हम हर चीज पर पाबंदी लगाने की सोच के चलते इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि सरकार भारतीय नागरिकों को वैक्सीन लगाने की बजाय विदेशों को वैक्सीन दान कर रही है या इसकी बिक्री कर रही है। हाई कोर्ट ने न्यायिक व्यवस्था में काम करने वाले लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर माने जाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। इस याचिका में जज, अदालत के कर्मचारियों और वकीलों का वैक्सीनेशन प्राथमिकता से कराने की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने दिल्ली बार कौंसिल के अध्यक्ष की एक चिट्ठी को जन हित याचिका मान कर इस मामले में खुद ही संज्ञान लिया है। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार सहित कोरोना वैक्सीन बना रहीं कंपनियों- भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए हैं। इन दोनों कंपनियों को हलफनामा देकर वैक्सीन बनाने की क्षमता का ब्योरा देने को कहा गया है। गौरतलब है कि कोवैक्सीन का उत्पादन भारत बायोटेक कर रही है, जबकि कोवीशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में हो रहा है। अदालत ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि वह वैक्सीन की ढुलाई की क्षमता की जानकारी दे। अदालत ने वैक्सीनेशन पर लगाई शर्तों पर भी नाराजगी जताई है और कहा है कि सरकार शर्तें तय करने की वजह भी बताए। दिल्ली सरकार को अदालत परिसरों में चिकित्सा सुविधाओं का जायजा लेने और यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या वहां वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि सरकार ने वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में 60 साल से ज्यादा उम्र वाले सभी लोगों और 45 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे लोगों, जिन्हें गंभीर बीमारी है उनको टीका लगाने की इजाजत दी है।    
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