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वायरस का व्यवहार बदले तभी बच्चों को खतरा

ByNI Desk,
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वायरस का व्यवहार बदले तभी बच्चों को खतरा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने कहा है कि वायरस का बच्चों पर कम असर होता है लेकिन अगर वायरस अपना व्यवहार बदल ले यानी म्यूटेट होकर नया रूप ले ले तो बच्चों में भी संक्रमण बढ़ सकता है। इसके साथ ही सरकार ने तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए अभी से तैयारी शुरू करने की भी जानकारी दी। सरकार ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया को कोवीशील्ड की दो डोज सबको लगेगी यानी एक डोज से काम चलाने की कोई बात नहीं है और न वैक्सीन मिक्सिंग की अभी कोई योजना है। कोरोना के हालात पर मंगलवार को हुए प्रेस कांफ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि बच्चों में कोरोना की बीमारी गंभीर नहीं होती, लेकिन हो सकता है कि वायरस अपना व्यवहार बदल ले तो इंफेक्शन बढ़ सकता है। इसी लिहाज से तैयारी की जा रही है। इस मसले पर विशेषज्ञों का एक ग्रुप बनाया गया है। आंकड़ों और अनुभव को देखते हुए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। डॉक्टर पॉल ने कहा कि बच्चों में कोविड आता है तो उसके दो रूप होते हैं। बुखार आया, निमोनिया हुआ और बच्चे को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। ये भी देखने में आया है कि कोविड आया, चला गया और पता भी नहीं चला। कोविड से रिकवर होने के बाद देखा गया कि कुछ दिनों बाद रेशेज आ रहे हैं। निमोनिया भी हो गया। इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। आंकड़ों से पता चला है कि कम संख्या में बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। वैक्सीनेशन की नीति पर सरकार ने साफ किया है कि देश मे कोवीशील्ड के दो डोज लगाने का नियम है। यही बना हुआ है, इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए। कोवीशील्ड का पहला डोज देने के 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज दिया जाएगा। डॉक्टर पॉल ने कहा कि कोवीशील्ड के दो ही डोज लगाए जाएंगे, एक नहीं। कोवैक्सिन का भी यही शेड्यूल है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक वैज्ञानिक रूप से साबित न हो जाए, वैक्सीन के डोज मिलाने का सवाल ही पैदा नहीं होता और न ही ऐसा किया जाएगा।
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