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भारत भी वायरस की जांच के पक्ष में

ByNI Desk,
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भारत भी वायरस की जांच के पक्ष में
नई दिल्ली। कोराना वायरस प्राकृतिक है या इसे बनाया गया था, यह कहां से और कैसे आया इसकी जांच पर पहली बार भारत ने आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया दी है। भारत ने भी दुनिया के कई देशों के साथ आवाज मिलाते हुए कहा है कि इसकी और ज्यादा जांच की जरूरत है। भारत ने आगे और जांच व रिसर्च की जरूरत बताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लुएचओ की रिपोर्ट इस रिसर्च का पहला फेज था और किसी फैसले तक पहुंचने के लिए आगे और स्टडी की जरूरत है। भारत ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि कोरोना की उत्पत्ति की जांच के लिए डब्लुएचओ के साथ जांच में सभी पक्षों का सहयोग जरूरी है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। कोरोना चीन की लैब में कृत्रिम तरीके से तैयार किया बताया जाता रहा है। पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने चीन में 2015 में कोरोना पर रिसर्च होने का दावा किया था। फिर अमेरिकी मीडिया ने भी कुछ दिन पहले वायरस को लेकर बड़ा खुलासा किया है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने दुनिया और डब्लुएचओ से बहुत जरूरी जानकारी छिपाई है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने डब्लुएचओ को बताया था कि वुहान में कोरोना का पहला केस आठ दिसंबर 2019 को मिला था। जबकि वायरस से संक्रमण का मामला इसके एक महीने पहले ही सामने आ गया था। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन रिसर्चर्स को नवंबर 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीमारी के दौरान तीनों डॉक्टरों में कोरोना के लक्षण देखे गए थे। इसके बाद वुहान की लैब से वायरस के लीक होने का शक बढ़ गया है। हालांकि चीन ने इस रिपोर्ट से इनकार किया है और कहा है कि वुहान लैब का कोई रिसर्चर बीमार नहीं पड़ा था। अमेरिका से पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया था कि कोरोना वायरस 2019 में अचानक नहीं आया, बल्कि इसकी तैयारी चीन 2015 से कर रहा था। चीन की सेना छह साल पहले से कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी। अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 90 दिन में इसकी जांच करके रिपोर्ट देने को कहा है।
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